ब्यूरो रिपोर्ट दरभंगा
दरभंगा :- इण्डेफ (पूर्व) के उपाध्यक्ष,बेसा के पूर्व महासचिव एवं पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता डा सुनील कुमार चौधरी ने नई दिल्ली में एनडीएमसी कन्वेंशन सेन्टर में आयोजित 26 वे “इण्डियन बिलडिन्ग कान्ग्रेस “नेट जीरो 2070 एण्ड बिल्ट इनभायरमेन्ट”मे शोध पत्र प्रस्तुत कर राष्ट्रीय स्तर पर बिहार का परचम लहराया।डा चौधरी के शोध पत्र का शीर्षक था- कंस्ट्रक्शन औफ क्लाइमेट रेजिलिएन्ट बिलडिन्ग इन डेवलपिन्ग कन्ट्रीज। डा चौथरी को बेस्ट पेपर अवार्ड से भी नवाजा गया ।आपदा रोधी , पर्यावरण के अनुकूल एवं संक्षरण रोधी समाज निर्माण के लिए कृतसंकल्पित तथा विज्ञान एवं तकनीक के विभिन्न पहलुओं को समाज के अन्तिम पंक्ति के लोगों तक पहुंचाने को कटिबद्ध डा चौधरी ने क्लाइमेट चेन्ज की चुनौतियो ,क्लाइमेट चेन्ज जनित आपदा,कारण एवं उनसे निपटने के उपायो पर विस्तार से चर्चा की।ग्रीन सस्टनेबल डिजाइन एण्ड कंस्ट्रक्शन एव॔ इस फील्ड मे एडवान्सेस एव॔ चुनौतियो की विस्तार से चर्चा की ।पर्यावरण संरक्षण एवं आपदा रोधी समाज निर्माण आन्दोलन के पर्याय बन चुके डा चौधरी ने भवनो को क्लाइमेट रेजिलिएन्ट, इनवरान्मेन्टली सस्टनेबल एवं सेल्फ़ सस्टनेबल बनाने के पहलुओं पर बड़े ही सहज-सरल एवं रोचक ढंग से प्रकाश डाला। उन्होने बताया कि भारत एक बहुआपदा प्रवण देश है जो बाढ एवं सुखाड़ ,आन्धी एवं साइक्लौन की मार झेलता रहा है ।उन्होने बताया कि जरूरी है कि भवनो के निर्माण एवं प्रबंधन में सेल्फ़ सस्टनेबल, इनवरान्मेन्टल सस्टनेबल , क्लाइमेट एवं डिजास्टर रेजिलिएन्ट एप्रोच अपनाया जाय।इनविरान्मेन्टल सस्टनेबलिटी एवं क्लाइमेट रेजिलिएन्न्स विकास के साथ कार्बन फुट प्रिन्ट को कम करके की प्रक्रिया है ।डिजास्टर रेजिलिएन्ट एप्रोच डिजास्टर के साथ जीने की कला है ।

उन्होने बताया कि जिस तरह से जनसंख्या वृद्धि हो रही है एवं प्रदूषण, अपशिष्ट पदार्थों का उत्सर्जन बढ रहा है क्लाइमेट रेजिलिएन्ट,सेल्फ़ सस्टनेबल एवं इनवरान्मेन्टल सस्टनेबल डिजाइन,कंस्ट्रक्शन एवं मेन्टिनेन्स को बढ़ावा देने की नितांत जरूरत है।डॉ चौधरी ने मेसो,माइक्रो एवं मैक्रो लेवल प्लानिंग में इनविरानमेन्टल सस्टनेबलिटी एवं क्लाइमेट रेजिलिएन्ट एप्रोच को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया ।उन्होने बताया कि विकास ऐसा हो जो विनाश से बचाये ,विकास ऐसा हो जो पर्यावरण को बचाये तथा विकास ऐसा हो जो सतत प्रगति की राह को दिखाये।भारत में इनविरानमेन्टली सस्टनेबल ग्रीन कौस्ट इफेक्टिव एण्ड क्लाइमेट रेजिलिएन्ट भवनो के निर्माण एवं प्रबंधन की बात करनी है तो इनोवेटिव, कौस्ट इफेक्टिव एण्ड ग्रीन रिवोल्यूशनरी टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देना होगा, साथ ही पॉलिसी एवं गवरनेन्स में आमूल-चूल परिवर्तन लाना होगा । डॉ चौधरी इन्टिग्रेटेड एप्रोच अपनाने की जरूरत बताई । साथ ही सेल्फ सस्टनेबल एवं ग्रीन ट्रान्सपोर्ट की जोरदार वकालत की ।इसके लिए समाज में लोगो को जागरूक करना होगा ।डा चौधरी ने निर्माण कार्य में अभिकल्प एवं मटेरियल के विशिष्टयो एवं प्रबंधन नीतियों में बदलाव की जरूरत की जोरदार वकालत की एवं इस दिशा में शोध को बढ़ावा देने की जरूरत बताई ।उन्होने बताया कि इनवरान्मेन्टल सस्टनेबल,क्लाइमेट रेजिलिएन्स एवं सेल्फ़ सस्टनेबल डिजास्टर रेजिलिएन्ट निर्माण एवं प्रबंधन पर समाज के हर तबके को जागरूक करने के अभियान को एक आन्दोलन का रूप देकर पूरा देश में फैलाने की जरूरत है । डा चौधरी अन्तरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के तकनीकी एवं सामाजिक संगठनों से जुड़कर जलवायु परिवर्तन जनित आपदा एवं उससे निपटने के लिए डिजास्टर रेजिलिएन्ट एवं कौस्ट इफेक्टिव टेक्नोलॉजी को समाज के अन्तिम पंक्ति के लोगों तक पहुंचाने का काम करते रहे हैं ।उहोने अपनी प्रस्तुती निम्न पंक्तियो के साथ समाप्त की-
हो गई है पीड पर्वत सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
सिर्फ शोध करना ही मेरा मतलब नही
सारी कोशिश है कि ए सूरत बदलनी चाहिए।
अन्त मे स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
