बिहार के हर क्षेत्र में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया लोक आस्था का महापर्व चौरचन(चौठचंद्र) वहीं इस मौके पर लोगों ने भगवान गणेश और चंद्रदेव की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना किया। पूजन के दौरान व्रति महिलाओं ने भगवान को अर्घ्य देकर उनकी सच्चे मन से आराधना की। मंत्रोच्चार के साथ दर्शन चौठ तिथि के चंद्रदेव का दर्शन कर अपने और अपने पूरे समाज की उज्जवल जीवन एवं सुख समृद्धि की कामना की। इस पर्व में समाज के लोगों के साथ साथ घर-परिवार समेत कई लोगो ने आगे आकर बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।

हाथ में डाला,फल-फूल, दही, केला, खीरा आदि लेकर भगवान चंद्रदेव का दर्शन किया और अपने मन की मनोकामना के लिए अराधना कर अपने समाज और पुरे राज्य की सुख समृद्धि की कामना की और पूजा के बाद लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। वहीं मिथिलांचल में चौठचंद्र महापर्व धूमधाम से मनाया जाता है। अच्छे और उज्जवल एवं सुख समृद्धि जीवन के लिए यह पर्व किया जाता है। द्वापर में इसे श्रीकृष्ण ने भी इस व्रत को कर भगवान चंद्रदेव का दर्शन कर कलंक से मुक्त हुए थे। इसमें भगवान गणेश की पूजा भी होती है। इस दिन भगवान गणेश के आर्शीवाद के कारण ही चंद्रदेव की पूजा होती है। माना जाता है कि भादव शुक्ल पक्ष की चतूर्थी तिथि को चंद्रदेव का दर्शन नहीं किया जाता है। लेकिन ऋषि-मुनियों के माने तो भगवान गणेश के वरदान के कारण इस दिन चंद्रदेव की विशेष पूजा होती है
